महामारी जो आज है पूरी दुनिया में फैली... उसे हम सबको मिलकर है हराना है ! महामारी जो आज है पूरी दुनिया में फैली... उसे हम सबको मिलकर है हराना है !
यह ज़िन्दगी है यारों, यहां रोज़ लगता एक मेला है। यह ज़िन्दगी है यारों, यहां रोज़ लगता एक मेला है।
A poem about changing the centres A poem about changing the centres
मेरे आँगन में बिख़री ख़ामोशी को समेट दे आकेतेरे बाद, मेरे घर में तन्हाई का वास हो गया है मेरे आँगन में बिख़री ख़ामोशी को समेट दे आकेतेरे बाद, मेरे घर में तन्हाई का वास हो ...
जिन्दगी फासला है मंजिल का, जिसको तय करते उम्र कट जाती। जिन्दगी फासला है मंजिल का, जिसको तय करते उम्र कट जाती।
एक ग़ज़ल...। एक ग़ज़ल...।